Thursday, July 31

नई दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है, जिससे यह दर अब 5.75% रह गई है। इसका सीधा फायदा उन करोड़ों भारतीयों को होगा जिन्होंने होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन लिया हुआ है या लेने की योजना बना रहे हैं।

रेपो रेट में कटौती का क्या मतलब है?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब आरबीआई इस दर को घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और बदले में बैंक भी आम उपभोक्ताओं को कम ब्याज दरों पर लोन देना शुरू कर देते हैं। इस तरह से यह एक श्रृंखलाबद्ध असर होता है, जिसका सीधा लाभ आम जनता को होता है।

EMI पर सीधा असर, घर खरीदने वालों को बड़ी राहत

इस निर्णय के बाद लोन की मासिक किश्तों यानी EMI में सीधी कटौती देखने को मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति 20 लाख रुपये का होम Loan 20 वर्षों की अवधि के लिए लेता है और पहले ब्याज दर 9% थी, तो EMI लगभग ₹17,995 आती थी। अब, जब ब्याज दर 8.5% हो गई है, तो वही EMI घटकर ₹17,356 हो जाएगी। इसका मतलब है कि ग्राहक हर महीने ₹639 की बचत कर सकेगा और पूरे लोन पीरियड में उसे कुल ₹1.5 लाख से अधिक की राहत मिलेगी। यह कटौती न केवल मासिक बजट को हल्का करेगी, बल्कि लंबे समय में वित्तीय दबाव भी कम करेगी।

किन लोन पर दिखेगा असर?

रेपो रेट कटौती का असर उन सभी लोन पर दिखाई देगा जो बैंकों की मौद्रिक नीति से जुड़े होते हैं। इनमें प्रमुख रूप से होम लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और छोटे व्यापारिक ऋण शामिल हैं। जिन उपभोक्ताओं ने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, उनके लिए यह राहत स्वतः लागू हो जाएगी। वहीं जिनका लोन फिक्स्ड रेट पर है, उन्हें अपने बैंक से संपर्क करना पड़ेगा या फिर लोन ट्रांसफर का विकल्प चुनना पड़ सकता है।

महंगाई में नरमी और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की तैयारी

आरबीआई के इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण महंगाई दर में आई हालिया गिरावट और धीमी पड़ती आर्थिक रफ्तार को गति देना है। पिछले महीने खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 4.5% पर आ गई है, जो आरबीआई के संतोषजनक दायरे में आती है। इसके अलावा, कोरोना के बाद की सुस्त आर्थिक रिकवरी, वैश्विक बाजार की मंदी और देश में निवेश में आई ठहराव जैसी स्थितियों को भी ध्यान में रखते हुए यह दर घटाई गई है। इससे उम्मीद की जा रही है कि बाजार में मांग बढ़ेगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

आरबीआई गवर्नर का बयान और संकेत

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मौद्रिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में नरमी से न सिर्फ आम उपभोक्ता को राहत मिलेगी, बल्कि देश की आर्थिक गतिविधियों को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही उन्होंने संकेत दिए कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो भविष्य में और भी कटौतियां की जा सकती हैं।

क्या करें ग्राहक? मौका है फायदे का

जो लोग लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह एक सुनहरा मौका है। ब्याज दरों में कटौती का लाभ उठाते हुए वे अब कम EMI पर लोन ले सकते हैं। वहीं, पहले से लोन ले चुके उपभोक्ता अपने बैंक से संपर्क कर नई दरों का लाभ ले सकते हैं। यदि बैंक यह लाभ नहीं दे रहा है, तो ग्राहक दूसरे बैंक में लोन ट्रांसफर करवा सकते हैं।

फ्लोटिंग रेट लोन वाले ग्राहकों के लिए यह राहत अपने आप लागू हो जाएगी, लेकिन जिनका लोन फिक्स्ड रेट पर है, उन्हें पहल करनी होगी। इसके अलावा, नए लोन लेने से पहले प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज और अन्य शर्तों की पूरी जानकारी लेना जरूरी है।

किन्हें होगा सबसे ज़्यादा फायदा?

आरबीआई के इस फैसले से सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो पहली बार घर खरीदने जा रहे हैं। रियल एस्टेट सेक्टर में इससे नई जान आने की उम्मीद है। इसके अलावा, एजुकेशन लोन ले रहे छात्र, ऑटो लोन लेने वाले ग्राहक, और छोटे कारोबारियों को भी इससे सीधी राहत मिलेगी।

MSME सेक्टर के लिए यह कटौती एक बड़ी राहत के रूप में देखी जा रही है, जो पहले से ही कर्ज की आसान उपलब्धता और कम लागत की मांग कर रहा था।

कुछ सीमाएं और सावधानियां

हालांकि ब्याज दरों में कटौती एक अच्छा संकेत है, लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम और सीमाएं भी हैं। सबसे पहले, हर बैंक तुरंत दरों में बदलाव नहीं करता। कुछ बैंक इसे लागू करने में समय लेते हैं या आंशिक लाभ देते हैं।

इसके अलावा, फ्लोटिंग रेट वाले लोन में भविष्य में यदि रेपो रेट बढ़ता है, तो EMI फिर से बढ़ सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि ग्राहक अपनी ऋण योजना का पुनर्मूल्यांकन करते रहें और ब्याज दरों के ट्रेंड पर नजर रखें।

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