Monday, June 9

नई दिल्ली । भारत तेजी से डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है। आधार कार्ड से लेकर डिजिटल भुगतान तक, देश में कई तकनीकी पहलें लागू की गई हैं ताकि जीवन को सरल, पारदर्शी और तेज़ बनाया जा सके। इसी कड़ी में अब सरकार एक नई पहल ला रही है — डिजिटल एड्रेस सिस्टम (Digital Address Code या DAC)। यह सिस्टम भारत के हर घर, दुकान, दफ्तर या किसी भी संपत्ति को एक यूनिक डिजिटल पहचान देने का काम करेगा।

यह विचार काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में भारत में पते की जानकारी अस्पष्ट या अधूरी होने के कारण बहुत सी समस्याएं आती हैं, जैसे डिलीवरी में देरी, सरकारी सेवाओं का सही लाभ न मिल पाना, और आपातकालीन सेवाओं में दिक्कतें। डिजिटल एड्रेस सिस्टम इन समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार किया जा रहा है।

डिजिटल एड्रेस सिस्टम क्या है?

डिजिटल एड्रेस सिस्टम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसमें हर घर या संपत्ति को एक विशेष कोड दिया जाएगा, जो उस जगह के भौगोलिक निर्देशांक (latitude और longitude) पर आधारित होगा। यह कोड ऐसा होगा, जो एकदम यूनिक होगा और दुनिया में कहीं भी वही कोड केवल एक ही स्थान के लिए होगा।

सरकार का उद्देश्य है कि हर नागरिक, हर संस्था, हर व्यवसाय और सरकारी विभाग के पास एक ऐसा मानकीकृत पता हो, जिससे वे आसानी से किसी भी जगह की सटीक लोकेशन पता कर सकें। इसे एक तरह से “घर का आधार” भी कहा जा सकता है।

इस डिजिटल कोड के साथ, हर एड्रेस को QR कोड के रूप में भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसे मोबाइल के माध्यम से स्कैन किया जा सकेगा और तुरंत पता चल जाएगा कि वह जगह कहाँ है।

क्यों जरूरी है डिजिटल एड्रेस सिस्टम?

भारत जैसे बड़े और विविध देश में पते की समस्या बहुत बड़ी है। ग्रामीण इलाकों में अक्सर पते अधूरे होते हैं या दिवारों पर मकानों के नंबर नहीं होते। शहरी इलाकों में भी कई बार ऐसे पते मिलते हैं जो दो से ज्यादा जगहों पर समान हो सकते हैं।

इससे:

  • डिलीवरी सर्विस में दिक्कतें: ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर खाद्य सेवाओं तक डिलीवरी में विलंब होता है।

  • आपातकालीन सेवाएं प्रभावित: पुलिस, एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड को सही स्थान पर पहुंचने में देर हो जाती है।

  • सरकारी योजनाओं का लाभ कम: पते की पुष्टि न होने के कारण लाभार्थी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।

  • भू-संपत्ति विवाद: जमीन या मकान के रिकॉर्ड अस्पष्ट होने से विवाद होते हैं।

डिजिटल एड्रेस सिस्टम इन सब समस्याओं को समाप्त करने के लिए एक प्रभावी समाधान प्रदान करता है।

डिजिटल एड्रेस सिस्टम का काम कैसे होगा?

  1. यूनिक कोड जनरेशन:
    प्रत्येक संपत्ति के लिए एक यूनिक 12-अंकीय डिजिटल एड्रेस कोड बनाया जाएगा। यह कोड जियो टैगिंग तकनीक के माध्यम से संपत्ति के वास्तविक स्थान से जुड़ा होगा।

  2. डेटा एकत्रित करना:
    सरकार के लोकल बॉडीज, पोस्ट ऑफिस, सर्वे विभाग आदि मिलकर पते की सही जानकारी एकत्रित करेंगे। इसमें ड्रोन सर्वे, सैटेलाइट इमेजरी, और क्षेत्रीय सर्वेक्षण का भी इस्तेमाल होगा।

  3. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण:
    DAC को एक ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए नागरिकों तक पहुंचाया जाएगा। नागरिक अपने घर का डिजिटल एड्रेस कोड चेक और अपडेट कर सकेंगे।

  4. QR कोड के रूप में उपलब्धता:
    डिजिटल एड्रेस के साथ QR कोड भी दिया जाएगा, जो स्मार्टफोन से स्कैन करके तुरंत पता की जानकारी देगा।

डिजिटल एड्रेस सिस्टम से जीवन में क्या बदलाव आएगा?

  • डिलीवरी सेवाएं तेज होंगी: ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी सेवाएं सही पता मिलते ही तुरंत डिलीवरी कर सकेंगी, जिससे ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा।

  • आपातकालीन सेवा में सुधार: पुलिस, एम्बुलेंस, और फायर ब्रिगेड सेवाओं को सही और तेज़ स्थान जानकारी मिलेगी, जिससे जान-माल का नुकसान कम होगा।

  • सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता: लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ आसानी से और बिना किसी गड़बड़ी के मिलेगा, क्योंकि पते की सत्यता सुनिश्चित हो जाएगी।

  • शहरी और ग्रामीण विकास: भूमि रिकॉर्ड की डिजिटल सत्यता से नगर नियोजन बेहतर होगा और नए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में मदद मिलेगी।

  • संपत्ति के विवाद कम होंगे: स्पष्ट और मानकीकृत पते से जमीन और मकान के विवादों में कमी आएगी।

कौन-कौन इस योजना को लागू कर रहा है?

भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत यह प्रोजेक्ट पोस्ट ऑफिस विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में चल रहा है। साथ ही कई टेक्नोलॉजी कंपनियों की मदद से इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कई राज्यों में लागू किया जा रहा है।

महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में इस सिस्टम का सफल परीक्षण हुआ है। इसका मकसद है कि जल्द से जल्द पूरे देश में इसे लागू किया जा सके।

चुनौतियां और संभावित जोखिम

  • डिजिटल साक्षरता: ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में लोगों को डिजिटल एड्रेस सिस्टम समझाने और उसे अपनाने के लिए शिक्षा जरूरी होगी।

  • गोपनीयता की चिंता: घर के पते का डिजिटल रूप में रहना कुछ लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, खासकर सुरक्षा के लिहाज से।

  • परिवर्तन की जटिलता: पुराने पते और नए डिजिटल पते के बीच तालमेल बैठाना और लोगों को नए सिस्टम के प्रति विश्वास दिलाना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

सरकार ने आश्वासन दिया है कि यह सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित होगा और नागरिकों की सहमति से ही लागू किया जाएगा।


भविष्य में डिजिटल एड्रेस सिस्टम की संभावनाएं

डिजिटल एड्रेस सिस्टम भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक अहम हिस्सा बनेगा। यह न केवल सरकारी विभागों, बल्कि निजी कंपनियों, स्वास्थ्य सेवाओं, बैंकिंग, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगा।

जैसे आधार कार्ड ने नागरिकों की पहचान को डिजिटल रूप में सशक्त बनाया, वैसे ही DAC भारत की भौगोलिक पहचान को सशक्त और मानकीकृत बनाएगा। इससे भारत एक ज्यादा संगठित, पारदर्शी और डिजिटल राष्ट्र के रूप में विकसित होगा।

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