घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है। यह न केवल एक ज़रूरत होती है, बल्कि जीवन भर की कमाई और भविष्य की सुरक्षा का भी आधार होता है। जब हम अपने सपनों का घर खरीदना चाहते हैं, तो सबसे बड़ा सहारा बनता है होम लोन। बैंक और वित्तीय संस्थाएं हमें यह सुविधा बहुत आसानी से दे देती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई जरूरी बातें हैं जो बैंक वाले आपको कभी नहीं बताते?
अगर आप होम लोन लेने जा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है। इसमें हम आपको बताएंगे 6 जरूरी बातें, जिनके बारे में जानकर आप न केवल समझदारी से लोन लेंगे, बल्कि लाखों रुपये भी बचा सकते हैं।
1. ईएमआई का स्ट्रक्चर आप खुद तय कर सकते हैं
अधिकतर लोग सोचते हैं कि बैंक जो ईएमआई बताएगा, वही मानना होगा। लेकिन हकीकत यह है कि आप अपने होम लोन की EMI को कस्टमाइज़ कर सकते हैं।
कैसे करें फायदा:
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स्टेप-अप EMI: शुरुआती सालों में कम EMI और बाद में इनकम बढ़ने पर EMI बढ़ाएं।
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स्टेप-डाउन EMI: अगर शुरू में इनकम ज्यादा है और बाद में खर्च बढ़ने की आशंका है, तो EMI कम करने का विकल्प चुनें।
बैंक यह जानकारी आमतौर पर नहीं देते, जबकि इससे आप अपनी जेब के अनुसार लोन चुका सकते हैं और डिफॉल्ट से बच सकते हैं।
2. ब्याज दर – फ्लोटिंग बनाम फिक्स्ड का सही चुनाव
ब्याज दरें दो प्रकार की होती हैं:
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फ्लोटिंग रेट (Floating Interest Rate)
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फिक्स्ड रेट (Fixed Interest Rate)
बैंक क्या करते हैं?
बैंक आमतौर पर फ्लोटिंग रेट को प्रमोट करते हैं क्योंकि इससे जोखिम कस्टमर पर आता है। लेकिन सभी ग्राहकों के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प नहीं होता।
क्या करें आप?
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अगर बाजार में ब्याज दरें कम हो रही हैं, तो फ्लोटिंग बेहतर है।
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अगर दरें बढ़ने की आशंका है, तो फिक्स्ड रेट से सुरक्षित रह सकते हैं।
बैंक अक्सर यह एनालिसिस ग्राहक से छिपा लेते हैं।
3. प्री-पेमेंट और फोरक्लोजर चार्ज को लेकर रहें सतर्क
होम लोन समय से पहले चुकाने पर कई बैंक प्री-पेमेंट या फोरक्लोजर चार्ज लगाते हैं। हालांकि, RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार फ्लोटिंग रेट लोन पर इन चार्जेस को माफ किया जाना चाहिए।
क्या ध्यान रखें:
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लोन लेने से पहले यह जरूर पूछें कि फोरक्लोजर चार्ज है या नहीं।
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अगर है, तो उसका प्रतिशत और शर्तें स्पष्ट करा लें।
यह चार्ज अक्सर लाखों रुपये तक का नुकसान कर सकता है – जबकि बैंक इस बारे में पहले से नहीं बताते।
4. टैक्स बेनिफिट का पूरा लाभ उठाएं
अधिकतर लोग जानते हैं कि होम लोन पर टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन पूरा लाभ उठाने वाले बहुत कम होते हैं।
कौन-कौन से टैक्स बेनिफिट मिलते हैं:
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धारा 80C: प्रिंसिपल अमाउंट पर ₹1.5 लाख तक की छूट।
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धारा 24B: इंटरेस्ट अमाउंट पर ₹2 लाख तक की छूट।
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अगर आप संयुक्त लोन ले रहे हैं (Co-applicant), तो यह छूट दोनों को मिल सकती है।
बैंक टैक्स की सलाह नहीं देते, लेकिन ये जानकारी आपको आयकर में बड़ी बचत दिला सकती है।
5. प्रोसेसिंग फीस और हिडन चार्जेस की जांच करें
बैंक विज्ञापन में ‘0% प्रोसेसिंग फीस’ लिखते हैं, लेकिन असल में कई छिपे हुए चार्जेस लोन के साथ जोड़े जाते हैं:
कुछ आम हिडन चार्जेस:
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लॉयल्टी चार्ज
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टेक्निकल वैल्यूएशन फीस
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लीगल चेक फीस
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एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज
हर चार्ज का ब्रेकअप डॉक्युमेंट में मांगें और कोई चार्ज संदिग्ध लगे तो सवाल जरूर करें।
6. लोन ट्रांसफर और टॉप-अप विकल्पों की जानकारी रखें
लोन बैलेंस ट्रांसफर:
अगर कोई और बैंक कम ब्याज दर दे रहा है, तो आप लोन को वहां ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे आपका ब्याज लोड काफी कम हो सकता है।
टॉप-अप लोन:
होम लोन पर समय के साथ टॉप-अप की सुविधा मिल सकती है, जो सामान्य पर्सनल लोन से सस्ता होता है।
बैंक यह विकल्प छिपा लेते हैं ताकि आप अधिक ब्याज वाले पर्सनल लोन लें।