आईटीआर फाइलिंग 2025: जानिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स जरूरी है?
हर साल की तरह इस साल भी आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया चालू है, लेकिन इस बार वेतनभोगी कर्मचारियों और गैर-ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स को एक बड़ी राहत मिली है। केंद्र सरकार ने इन वर्गों के लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। ऐसे में अगर आप भी इस श्रेणी में आते हैं, तो आपके पास अब भी समय है कि आप सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा कर लें ताकि रिटर्न फाइलिंग में कोई गलती या देरी न हो।
यहां हम आपको बता रहे हैं उन जरूरी दस्तावेजों की पूरी लिस्ट जो ITR भरते वक्त आपके पास जरूर होनी चाहिए।
फॉर्म 16 – वेतनभोगियों के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो फॉर्म 16 आपके लिए सबसे अहम डॉक्यूमेंट है। यह फॉर्म आपको आपका एम्प्लॉयर देता है जिसमें आपकी सालभर की सैलरी, TDS (Tax Deducted at Source), और टैक्स की जानकारी होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपके द्वारा भरी गई ITR और आपके नियोक्ता द्वारा काटे गए टैक्स में कोई अंतर नहीं है।
फॉर्म 16A, 16B, 16C, 16D – अन्य इनकम सोर्स से जुड़ा विवरण
-
फॉर्म 16A: यह फॉर्म अन्य स्रोतों से मिलने वाली आय (जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या इंश्योरेंस कमीशन) पर TDS की जानकारी देता है।
-
फॉर्म 16B: यदि आपने कोई प्रॉपर्टी बेची है, तो खरीदार द्वारा काटे गए TDS की डिटेल इस फॉर्म में होती है।
-
फॉर्म 16C: यदि आपने 50,000 रुपये से अधिक किराया लिया है, तो किराएदार द्वारा काटे गए टैक्स की जानकारी इस फॉर्म में होती है।
-
फॉर्म 16D: यह प्रोफेशनल्स या कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड वर्क से संबंधित TDS विवरण प्रदान करता है।
इन सभी डॉक्यूमेंट्स से आपको यह जानने में मदद मिलती है कि आपकी किस स्त्रोत से कितनी कमाई हुई है।
AIS, TIS और फॉर्म 26AS – टैक्स डेटा का डिजिटल रिकॉर्ड
-
AIS (Annual Information Statement): इसमें आपकी संपूर्ण आय की डिटेल होती है, जैसे बैंक ब्याज, शेयर ट्रांजैक्शन आदि।
-
TIS (Taxpayer Information Summary): यह AIS का सार होता है, जिससे आसानी से आपकी इनकम का रीकैप मिल जाता है।
-
फॉर्म 26AS: इसमें आपके द्वारा दी गई टैक्स की जानकारी, TDS, TCS, और रिफंड जैसी डिटेल शामिल होती हैं।
यह सभी दस्तावेज इनकम टैक्स की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं और इनसे टैक्स की पारदर्शिता बनी रहती है।
कैपिटल गेन स्टेटमेंट – निवेश से हुई कमाई का ब्योरा
यदि आपने शेयर, म्यूचुअल फंड या प्रॉपर्टी में निवेश किया है और इससे आपको लाभ (Capital Gain) हुआ है, तो उसका भी विवरण देना जरूरी होता है। इसके लिए आपको अपने स्टॉक ब्रोकर या म्यूचुअल फंड कंपनी से कैपिटल गेन स्टेटमेंट लेना होगा। इससे आपको लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म गेन की सही जानकारी मिलती है, जो कि ITR में दिखाना अनिवार्य है।
बैंक स्टेटमेंट और इंटरेस्ट सर्टिफिकेट
बैंक अकाउंट में मिलने वाले सेविंग्स अकाउंट के ब्याज या एफडी से होने वाली आय को भी ITR में दिखाना होता है। इसके लिए:
-
बैंक स्टेटमेंट
-
इंटरेस्ट सर्टिफिकेट
की जरूरत होती है। अगर आपने पोस्ट ऑफिस की कोई स्कीम ली है, तो वहां से मिलने वाले ब्याज को भी दिखाना जरूरी है।
होम लोन, एजुकेशन लोन और इंश्योरेंस प्रीमियम के डॉक्यूमेंट्स
टैक्स सेविंग के लिए आपने अगर किसी भी तरह की योजना में निवेश किया है या फिर होम लोन/एजुकेशन लोन लिया है, तो उससे संबंधित रसीदें या सर्टिफिकेट्स को भी ITR फाइल करते समय दिखाना होता है:
-
LIC प्रीमियम पॉलिसी की रसीद
-
PPF या ELSS में निवेश के डॉक्यूमेंट्स
-
होम लोन का इंटरेस्ट और प्रिंसिपल सर्टिफिकेट
-
एजुकेशन लोन की EMI डिटेल्स
इन सबके माध्यम से आप धारा 80C, 80D, 24(b) आदि के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।
विदेशी आय और अनलिस्टेड शेयर
यदि आपके पास किसी विदेशी कंपनी के शेयर हैं या आपने विदेश में कोई कमाई की है, तो भले ही आपकी कुल आय टैक्स छूट की सीमा से कम हो, आपको उसका विवरण ITR में देना जरूरी होता है। इसके लिए:
-
विदेशी बैंक अकाउंट की डिटेल
-
विदेशी निवेश की जानकारी
-
भारतीय कंपनी के अनलिस्टेड शेयर की संख्या और कंपनी का नाम
भी जरूरी होता है। ऐसा न करना टैक्स चोरी के अंतर्गत आ सकता है।
रेंट इनकम और हाउस प्रॉपर्टी की जानकारी
अगर आपके पास कोई प्रॉपर्टी है जिसे आपने किराए पर दिया है, तो उससे मिलने वाली इनकम को भी आपको ITR में दिखाना होगा। यदि आपने किराया दिया है और उस पर HRA क्लेम कर रहे हैं तो:
-
रेंट एग्रीमेंट
-
मकान मालिक का PAN नंबर
-
भुगतान की रसीदें
भी संलग्न करनी होती हैं।