Tuesday, June 10

नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाते हुए खरीफ सीजन की 14 प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह निर्णय हाल ही में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी। इस फैसले से देशभर के करोड़ों किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी
छत्तीसगढ़ के किसानों को अब धान का MSP ₹2,300 प्रति क्विंटल मिलेगा। इसके अलावा, राज्य सरकार ₹800 प्रति क्विंटल का बोनस भी दे रही है, जिससे कुल लाभ ₹3,100 प्रति क्विंटल हो जाता है। यह बढ़ोतरी किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी और उनकी मेहनत का सही मूल्य सुनिश्चित करेगी। छत्तीसगढ़ में नवंबर से जनवरी तक धान की खरीदी होती है, जिसमें किसान सीधे मंडी या उपार्जन केंद्र पर अपनी फसल बेच सकते हैं। इस तरह की राहत से छत्तीसगढ़ के किसान खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

क्या है MSP?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदने की गारंटी देती है, चाहे बाजार में उस फसल की कीमत कुछ भी हो। MSP का उद्देश्य किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य देना और कृषि को लाभकारी बनाना है। यह प्रणाली खास तौर पर तब उपयोगी होती है जब फसलों के दाम बाजार में गिर जाते हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

किन फसलों के MSP में हुआ इज़ाफा?

सरकार ने इस बार खरीफ सीजन की 14 फसलों के लिए MSP में वृद्धि की है। इनमें धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, कपास, अरहर (तूर), सूरजमुखी, रामतिल और नाइजरसीड शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक MSP वृद्धि मूंग, उड़द और तिल की फसलों में देखी गई है।

धान, जो भारत की प्रमुख खरीफ फसल है, उसका MSP 117 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर ₹2,300 कर दिया गया है।
तिल का MSP ₹983 की बड़ी बढ़ोतरी के साथ ₹9,267 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो इस बार की सबसे बड़ी वृद्धि है।
उड़द के MSP में ₹450 की वृद्धि की गई है, जिससे यह ₹7,400 प्रति क्विंटल हो गया है।

MSP में बढ़ोतरी का महत्व

भारत में अधिकांश छोटे और सीमांत किसान खरीफ फसलें उगाते हैं, जिनकी आमदनी मौसम, उत्पादन लागत और बाजार मूल्य पर निर्भर करती है। MSP में की गई यह वृद्धि न केवल उन्हें बेहतर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि अगली फसल की बुवाई के लिए संसाधन जुटाने में भी मदद करेगी।

इसके अलावा, इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी क्योंकि किसान अपनी बढ़ी हुई आमदनी से अधिक खर्च कर पाएंगे, जिससे मांग में इज़ाफा होगा।

सरकार का तर्क

केंद्र सरकार का कहना है कि MSP में यह वृद्धि किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की दिशा में एक और कदम है। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार “किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य” सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया है, जिसमें उत्पादन लागत, अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और किसानों की भावनाओं को ध्यान में रखा गया।

उत्पादन लागत से तुलना

सरकार के अनुसार, इस बार MSP को इस तरह निर्धारित किया गया है कि किसान को उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक मूल्य मिले। यह नीति स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसे सरकार ने अपनाया है। उदाहरण के तौर पर, धान की उत्पादन लागत ₹1,300 प्रति क्विंटल मानी गई है, और नया MSP ₹2,300 है, यानी लगभग 77% अधिक।

किसानों की प्रतिक्रिया

देशभर के किसान संगठनों ने MSP में इस वृद्धि का स्वागत किया है, लेकिन कुछ संगठनों ने यह भी कहा है कि यह बढ़ोतरी मौजूदा महंगाई दर और उत्पादन लागत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने एक बयान में कहा कि MSP में वृद्धि सकारात्मक कदम है, लेकिन इसे लागू करने की पारदर्शी और बाध्यकारी व्यवस्था भी जरूरी है।

MSP पर कानूनी गारंटी की मांग

हाल के वर्षों में किसानों द्वारा MSP पर कानूनी गारंटी की मांग तेज हुई है। उनका कहना है कि जब तक MSP पर फसलों की खरीद बाध्यकारी नहीं बनाई जाती, तब तक कई राज्यों में किसान बाजार के भरोसे रह जाते हैं, जहां उन्हें घोषित MSP से भी कम मूल्य मिलता है। इस संदर्भ में सरकार ने कोई नया कानून नहीं बनाया है, लेकिन यह कहा है कि सरकारी एजेंसियां खरीदी को और अधिक प्रभावी बनाने के प्रयास कर रही हैं।

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