FT Desk
सोने की कीमतों GOLD PRICES में आगामी वर्षों में जबरदस्त उछाल आने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सन 2030 तक सोने की अतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत 8,900 डॉलर तक पहुंच सकती है। कीमतों में यह संभावित उछाल केंद्रीय बैंक की नीतियों और मुद्रास्फीति पर निर्भर करेंगा। जेपी मॉर्गन ने 2029 तक 6,000 डॉलर प्रति औंस का अनुमान लगाया है। उतार-चढ़ाव के बावजूद, विशेषज्ञ निवेशकों को सोने पर विचार करने की सलाह देते हैं। अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में सोने के लिए वर्तमान बाजार आवंटन न्यूनतम है।
सोने की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती मुद्रास्फीति, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता जैसे कारकों के कारण, मध्यम अवधि में यह 4,00 से 5,000 डॉलर तक बढ़ सकता है, जबकि 2030 तक सोने की कीमत 8,900 डॉलर तक पहुंच सकती है। लीचेंस्टीन स्थित निवेश फर्म इंक्रीमेंटम की रिपोर्ट के अनुसार, “4,800 से 8,900 डॉलर का पूर्वानुमानित कॉरिडोर मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि अगले पांच साल में मुद्रास्फीति कितनी रहेगी।”ये अनुमान केंद्रीय बैंक की नीतियों, मुद्रास्फीति के पैटर्न और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक स्थितियों सहित सोने को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों के व्यापक मूल्यांकन पर आधारित हैं।
रिपोर्ट बताती है कि सोने को लेकर मौजूदा सकारात्मक रुझान अस्थायी नहीं है, बल्कि यह रुझान लंबे समय तक कायम रहने का शुरुआती संकेत देता है, जिस पर निवेशकों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। लेकिन निवेशक अपने विवेक का भी इस्तेमाल करें औैर सोने की विशिष्ट मूल्य उतार-चढ़ाव को देखते हुए ही मूल्य समायोजन के लिए तैयार रहने की सलाह देता है।
बढकर आई कीमतों में गिरावट
सोने में हाल की दिलचस्पी व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं से उपजी है; फिर भी, जनवरी-अप्रैल 2025 के दौरान पर्याप्त वृद्धि के बाद कीमतों में गिरावट आई है, जब मूल्यों में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विश्लेषण से पता चलता है कि दुनिया भर के बाजार और स्थानीय लोग अपने निवेश का केवल एक प्रतिशत सोने और कीमती धातुओं में लगाते हैं, जिससे यह कला, प्राचीन वस्तुओं और बुनियादी ढांचे जैसे विशेषज्ञ निवेशों के साथ-साथ निजी इक्विटी, रियल एस्टेट और नकदी होल्डिंग्स जैसे पारंपरिक विकल्पों से काफी पीछे रह जाता है।
सोने की कीमत इन पांच फैक्टर्स पर निर्भर करती है- :
1. मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता
- यदि वैश्विक मुद्रास्फीति (Inflation) उच्च स्तर पर बनी रहती है, तो सोने की मांग बढ़ सकती है, क्योंकि निवेशक इसे एक सुरक्षित संपत्ति (Safe Haven Asset) मानते हैं।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed) की मौद्रिक नीति (ब्याज दरों में कटौती या वृद्धि) सोने की कीमतों को प्रभावित करेगी।
2. डॉलर की मजबूती/कमजोरी
- सोने की कीमतें अक्सर अमेरिकी डॉलर (USD) के विपरीत दिशा में चलती हैं। यदि डॉलर कमजोर होता है, तो सोना महंगा हो सकता है।
3. भू-राजनीतिक तनाव
- युद्ध, व्यापार युद्ध (Trade Wars), या वैश्विक अशांति के कारण निवेशक सोने की ओर भाग सकते हैं।
- उदाहरण: रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका तनाव, या मध्य पूर्व संकट।
4. केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद
- भारत, चीन और रूस जैसे देशों के केंद्रीय बैंक सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं, जिससे मांग बढ़ सकती है।
5. आपूर्ति में कमी
- सोने की खदानों (Gold Mining) में उत्पादन कम होने से आपूर्ति घट सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
क्या $8,900 प्रति औंस संभव है?
- वर्तमान में (2024) सोना $2,300–$2,500 प्रति औंस के स्तर पर है।
- 2030 तक $8,900 तक पहुँचने के लिए ~30% सालाना वृद्धि की आवश्यकता होगी, जो ऐतिहासिक रूप से बडी उम्मीद लगता है।
- हालाँकि, यदि हाइपरइन्फ्लेशन, बड़ा वित्तीय संकट, या डॉलर का पतन जैसी घटनाएँ होती हैं, तो सोना अप्रत्याशित रूप से ऊपर जा सकता है।
संभावित परिदृश्य (2030 तक)
- बेस केस: $3,000–$5,000 प्रति औंस
- बुल केस (तेजी): $6,000–$8,000 (यदि गंभीर आर्थिक संकट आता है)
- बेयर केस (मंदी): $2,000–$3,000 (यदि ब्याज दरें बहुत बढ़ जाती हैं और डॉलर मजबूत होता है)