भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 353 बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं पर कुल ₹54.78 करोड़ का जुर्माना लगाया। ये दंड विभिन्न वैधानिक प्रावधानों और नियामक निर्देशों के उल्लंघन के कारण लगाए गए थे।
प्रमुख उल्लंघन और दंड
RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इन दंडों में शामिल हैं:
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साइबर सुरक्षा ढांचे का उल्लंघन: कुछ बैंकों ने साइबर सुरक्षा से संबंधित निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे ग्राहकों की जानकारी और बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा को खतरा हुआ।
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KYC (अपने ग्राहक को जानें) नियमों का उल्लंघन: कई बैंकों ने KYC प्रक्रियाओं में लापरवाही बरती, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय अपराधों का जोखिम बढ़ा।
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प्राथमिकता क्षेत्र ऋण लक्ष्यों का पालन न करना: कुछ बैंकों ने कृषि, लघु उद्योग और शिक्षा जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों में ऋण देने के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा नहीं किया।
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ब्याज दरों और ग्राहक सेवा निर्देशों का उल्लंघन: ब्याज दरों के निर्धारण और ग्राहक सेवा से संबंधित निर्देशों का पालन न करने पर भी दंड लगाए गए।
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अनधिकृत आंतरिक खातों का संचालन: कुछ बैंकों ने आंतरिक खातों का अनधिकृत रूप से संचालन किया, जिससे वित्तीय पारदर्शिता पर प्रश्न उठे।
प्रमुख बैंक और उल्लंघन
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ICICI बैंक: साइबर सुरक्षा ढांचे, KYC और क्रेडिट/डेबिट कार्ड संचालन में उल्लंघनों के लिए ₹97.80 लाख का जुर्माना।
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एक्सिस बैंक: आंतरिक खातों के अनधिकृत संचालन के लिए ₹29.60 लाख का जुर्माना।
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बैंक ऑफ बड़ौदा: ग्राहक सेवा और जमा पर ब्याज दरों से संबंधित निर्देशों के उल्लंघन के लिए ₹61.40 लाख का जुर्माना।
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भारतीय स्टेट बैंक (SBI): ऋण और अग्रिम, ग्राहक संरक्षण, और चालू खाता खोलने से संबंधित निर्देशों के उल्लंघन के लिए ₹1.72 करोड़ का जुर्माना।
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केनरा बैंक: प्राथमिकता क्षेत्र ऋण लक्ष्यों, जमा पर ब्याज दरों, और वित्तीय समावेशन से संबंधित निर्देशों के उल्लंघन के लिए ₹1.63 करोड़ का जुर्माना।
अब बचत खातों में नहीं लगेगा जुर्माना”
अब बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर जुर्माना नहीं लगेगा, क्योंकि केनरा बैंक ने 1 जून 2025 से अपने सभी बचत खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इस निर्णय के तहत, ग्राहक अब जीरो बैलेंस पर भी बिना किसी पेनल्टी या शुल्क के खाता संचालित कर सकते हैं, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के खाताधारकों को राहत मिलेगी। इससे पहले, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मार्च 2020 में अपने सभी बचत खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया था, जिससे ग्राहकों को जुर्माने से मुक्ति मिली थी।
RBI द्वारा लगाए गए ये दंड वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहने की याद दिलाता है।