भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश देने की घोषणा की, जो 2023-24 के लाभांश भुगतान से 27.4 प्रतिशत अधिक है। बता दें कि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023- 24 के लिए सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश हस्तांतरिंत किया था। इसके पहले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भुगतान वितरण 87,416 करोड़ रुपये रहा था। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की यहां आयोजित 616वीं बैठक में सरकार को रिकॉर्ड लाभांश भुगतान करने का निर्णय लिया गया।
रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट को मंजूरी
इस बैठक की अध्यक्षता गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि निदेशक मंडल ने वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा की, जिसमें परिदृश्य से जुड़े जोखिम भी शामिल हैं। इस दौरान निदेशक मंडल ने अप्रैल 2024 मार्च 2025 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को मंजूरी दी। रिजर्व बैंक ने कहा, केंद्रीय निदेशक मंडल ने लेखा वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,68,590.07 करोड रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी।
आर्थिक पूंजी ढाँचा एवं RBI द्वारा लाभांश अंतरण
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के केंद्रीय निदेशक मंडल ने जोखिम प्रावधान के साथ केंद्रीय बैंक से सरकार को किये जाने वाले लाभांश (अधिशेष) वितरण के निर्धारण के क्रम में आर्थिक पूंजी ढाँचे (ECF) का आकलन किया।
आर्थिक पूंजी ढाँचा (ECF) क्या है?
- परिचय: यह RBI द्वारा जोखिम प्रावधानों के उचित स्तर तथा अधिशेष (लाभ) को निर्धारित करने के क्रम में अपनाया गया एक संरचित तंत्र है। इस अधिशेष को RBI अधिनियम, 1934 की धारा 47 के तहत भारत सरकार को अंतरित किया जा सकता है।
- इसकी सिफारिश बिमल जालान (RBI के पूर्व गवर्नर) समिति (वर्ष 2018) द्वारा की गई थी और इसे औपचारिक रूप से वर्ष 2019 में अपनाया गया था।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता के क्रम में पर्याप्त वित्तीय बफर बनाए रखने के साथ विवेकपूर्ण अधिशेष वितरण के बीच संतुलन बनाना है।
- यह (CRB) RBI की बैलेंस शीट का 5.5% से 6.5% तक का वित्तीय सुरक्षा संजाल है जिससे संकट के समय ऋणदाता के रूप में कार्य करने की इसकी स्थिरता और क्षमता सुनिश्चित होती है।
- यह RBI को मुद्रा अस्थिरता तथा आर्थिक वित्तीय संकट जैसे अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के प्रति वित्तीय सुरक्षा के रूप में आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
- यह (CRB) RBI की बैलेंस शीट का 5.5% से 6.5% तक का वित्तीय सुरक्षा संजाल है जिससे संकट के समय ऋणदाता के रूप में कार्य करने की इसकी स्थिरता और क्षमता सुनिश्चित होती है।
RBI के आर्थिक पूंजी ढांचे में क्या बदलाव हुए हैं?
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Contingency Risk Buffer (CRB) की सीमा में वृद्धि
RBI ने CRB की सीमा को 5.5%-6.5% से बढ़ाकर 4.5%-7.5% कर दिया है। इससे केंद्रीय बैंक को वैश्विक और घरेलू आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अधिक लचीलापन मिलेगा। -
बाजार जोखिम मूल्यांकन में समग्र दृष्टिकोण
अब RBI अपने बैलेंस शीट पर स्थित और ऑफ-बैलेंस शीट दोनों परिसंपत्तियों के बाजार जोखिम का समग्र मूल्यांकन करेगा। इसमें विदेशी मुद्रा संपत्तियों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे जोखिम का आकलन और सटीक होगा। -
अंतरिम लाभांश नीति में बदलाव
RBI ने सामान्य परिस्थितियों में अंतरिम लाभांश भुगतान को समाप्त कर दिया है। अब यह केवल असाधारण परिस्थितियों में ही संभव होगा, जिससे सरकार को अधिक स्थिर और पूर्वानुमेय लाभांश प्राप्त होगा। -
पाँच वर्षीय समीक्षा चक्र
Bimal Jalan समिति की सिफारिशों के अनुसार, ECF की समीक्षा अब हर पाँच वर्ष में की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि ढांचा बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप हो।
FY25 में RBI का रिकॉर्ड लाभांश
FY25 में, RBI ने ₹2.68 लाख करोड़ का रिकॉर्ड लाभांश सरकार को हस्तांतरित किया है, जो बजट अनुमान ₹2.56 लाख करोड़ से अधिक है। यह पिछले वर्ष के ₹2.11 लाख करोड़ के मुकाबले लगभग 27% अधिक है। यह अतिरिक्त लाभांश सरकार को वित्तीय लचीलापन प्रदान करेगा और घरेलू तरलता में सुधार करेगा।