नई दिल्ली, दुनिया के सबसे अमीर शख्स और टेस्ला व स्पेसएक्स के सीईओ Elon Musk ने अमेरिका के बढ़ते कर्ज को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अमेरिकी संसद देश को दिवालिया बना रही है।
मस्क ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि अमेरिका की कमाई का 25% हिस्सा केवल कर्ज के ब्याज को चुकाने में जा रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो अमेरिका के पास न तो सोशल सिक्योरिटी के लिए पैसे बचेंगे, न मेडिकल सुविधा के लिए, और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए।
अमेरिका के कर्ज की स्थिति: आंकड़ों में हकीकत
Elon Musk ने जिस वॉल स्ट्रीट माव अकाउंट को कोट किया, उसमें बताया गया है कि अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 36.9 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 3200 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है।
- 2011 में अमेरिका का कर्ज 15.2 ट्रिलियन डॉलर था।
- 2024 तक यह बढ़कर 36.2 ट्रिलियन डॉलर हो गया।
- महज 13 वर्षों में यह दोगुना से ज्यादा हो गया है।
मस्क ने कहा कि केवल कर्ज का ब्याज ही अमेरिका को डिफेंस बजट से ज्यादा चुकाना पड़ रहा है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार अमेरिका को हर साल लगभग 1.2 ट्रिलियन डॉलर (करीब 103 लाख करोड़ रुपये) सिर्फ ब्याज के रूप में देना पड़ रहा है।
अमेरिका के बजट में कटौती की योजना
अमेरिकी ट्रेजरी के मुताबिक सरकार की कमाई खर्च के मुकाबले काफी कम है। यही कारण है कि बजट घाटे की पूर्ति कर्ज लेकर करनी पड़ती है।
ट्रंप प्रशासन ने मई 2025 में प्रस्तावित बजट में 163 बिलियन डॉलर की कटौती की घोषणा की है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, हाउसिंग और श्रम विभाग के प्रोग्राम शामिल हैं। स्टेट डिपार्टमेंट और NOAA के बजट में भी भारी कटौती का प्रस्ताव है। हालांकि, कई संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
मस्क की आलोचना: फिजूलखर्ची वाले बिल अमेरिका को संकट में डाल रहे
मस्क ने ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ को फिजूलखर्ची करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस कानून से बजट घाटा 2.5 ट्रिलियन डॉलर और बढ़ जाएगा।
3 जून को मस्क ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं अब और सहन नहीं कर सकता। यह बिल बहुत बड़ा, बेतुका और फिजूल खर्चों से भरा है। जिन लोगों ने इसके पक्ष में वोट दिया, उन्हें शर्म आनी चाहिए।”
2035 तक और भी बढ़ेगा संकट
रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार यदि यही रुख बना रहा तो 2035 तक अमेरिका का कर्ज उसकी GDP का 140% हो जाएगा। अभी यह अनुपात 123% है।
कॉन्ग्रेशनल बजट ऑफिस का अनुमान है कि 2055 तक यह अनुपात 156% हो सकता है। जबकि आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि 60% से अधिक का डेट-टू-जीडीपी रेश्यो आर्थिक स्थिरता के लिए खतरनाक होता है।
रे डालियो का विश्लेषण: आर्थिक हार्ट अटैक की ओर
अरबपति निवेशक रे डालियो ने कहा कि अगले 10 वर्षों में अमेरिका का कर्ज 50 से 55 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। उन्होंने इस संकट को “इकोनॉमिक हार्ट अटैक” कहा है।
उन्होंने बताया कि अमेरिका के मौजूदा क्रेडिट सिस्टम की तुलना शरीर में खून के प्रवाह से की जा सकती है। जब तक खून यानी पैसा सही दिशा में प्रवाहित होता है, तब तक सब कुछ ठीक चलता है। परंतु जब कर्ज इतनी अधिक मात्रा में हो जाए कि उसकी अदायगी ही सरकार की कमाई का बड़ा हिस्सा खा जाए, तब बाकी योजनाओं के लिए पैसे नहीं बचते।
सामाजिक प्रोग्राम्स पर असर
बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर और काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के अनुसार बढ़ते ब्याज खर्च के कारण:
- सोशल सिक्योरिटी फंड संकट में आ सकता है।
- मेडिकेयर और मेडिकेड जैसी योजनाओं की फंडिंग घट सकती है।
- मिलिट्री और बॉर्डर सिक्योरिटी को नुकसान हो सकता है।
वैश्विक असर: डॉलर पर गिरता भरोसा
अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर कर्ज के इस बोझ का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। चूंकि डॉलर वैश्विक रिजर्व करेंसी है, ऐसे में यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था हिलती है, तो इसका प्रभाव भारत जैसे उभरते देशों पर भी पड़ेगा।
अमेरिकी डॉलर में निवेश करने वाले देशों जैसे चीन, जापान और भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है। यदि अमेरिका को अपनी क्रेडिट रेटिंग घटानी पड़ी, तो वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है।
अमेरिका की टैक्स नीति पर सवाल
2017 में ट्रंप प्रशासन द्वारा किए गए टैक्स कट्स से अमेरिका की सरकारी आमदनी में गिरावट आई है। यह नीति अमीर वर्ग को राहत देने वाली थी, लेकिन इससे सरकार के राजस्व में नुकसान हुआ।
टैक्स कट्स की यह नीति आज भी जारी है, जिससे बजट घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।
क्या मस्क का डर जायज़ है?
अनेक अर्थशास्त्रियों के अनुसार एलन मस्क की चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अमेरिका भले ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन यदि उसकी कमाई का चौथाई हिस्सा केवल कर्ज के ब्याज में जा रहा हो, तो यह स्थिति अलार्मिंग है।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- कर्ज लेने के साथ-साथ राजस्व बढ़ाने की भी नीति होनी चाहिए।
- अनुत्पादक खर्चों को बंद करना जरूरी है।
- टैक्स नीति में आमदनी और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए।
भारत के लिए सबक
भारत सरकार को इस संकट से सबक लेना चाहिए। भारत की डेट-टू-जीडीपी रेश्यो फिलहाल लगभग 81% है, जो नियंत्रण में है, लेकिन यदि अनुत्पादक खर्च और उधारी बढ़ी, तो भारत भी अमेरिका जैसी स्थिति में पहुंच सकता है।
राजकोषीय अनुशासन और खर्च में पारदर्शिता भारत के लिए अनिवार्य है। भारत को निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ कर संग्रह में सुधार लाना होगा।