नई दिल्ली । भारतीय नौसेना की अगुवाई में, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ समन्वय में आयोजित किया जा रहा त्रि-सेवा अभ्यास (टीएसई-2025) “त्रिशूल” नवंबर के प्रारंभ में शुरू होगा।
रविवार को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं की संचालन प्रक्रियाओं के प्रमाणीकरण और समन्वय को सुनिश्चित करना है, ताकि बहु-आयामी वातावरण में संयुक्त प्रभाव-आधारित अभियान संचालित किए जा सकें।
मुख्य उद्देश्यों में प्लेटफॉर्म और बुनियादी ढांचे की पारस्परिक संचालन क्षमता (इंटरऑपरेबिलिटी) को बढ़ाना, तीनों सेनाओं के नेटवर्क के एकीकरण को सुदृढ़ करना, और बहु-आयामी अभियानों में संयुक्तता को आगे बढ़ाना शामिल है।
अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के क्रीक एवं रेगिस्तानी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अभियान होंगे, साथ ही उत्तरी अरब सागर में उभयचर (एम्फीबियस) अभियानों सहित व्यापक समुद्री अभियान भी शामिल होंगे।
गुजरात तट और उत्तरी अरब सागर को कवर करने वाले इस अभ्यास में सेना की दक्षिणी कमान, नौसेना की पश्चिमी कमान और वायु सेना की दक्षिण-पश्चिमी कमान जैसी प्रमुख संरचनाएं भाग लेंगी। भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी बड़े पैमाने पर भाग लेंगी, जिससे अंतर-एजेंसी समन्वय और एकीकृत अभियानों को और मजबूती मिलेगी।
अभ्यास के दौरान संयुक्त खुफिया, निगरानी एवं टोही (आईएसआर), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) और साइबर युद्ध योजनाओं का भी प्रमाणीकरण किया जाएगा। यह स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग को रेखांकित करेगा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांतों के आत्मसात को प्रदर्शित करेगा।
इसके अतिरिक्त, अभ्यास उभरते खतरों और समकालीन एवं भविष्य के युद्ध के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए प्रक्रियाओं और तकनीकों को परिष्कृत करने पर भी केंद्रित रहेगा।


