IndiGo एयरलाइंस की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के को-फाउंडर राकेश गंगवाल ने अपनी 5.8% हिस्सेदारी बेच दी है। यह सौदा एक ब्लॉक डील के माध्यम से पूरा किया गया, जिसकी कुल वैल्यू ₹11,928 करोड़ बताई गई है। गंगवाल की यह हिस्सेदारी बिक्री बाजार में एक बड़े कदम के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि इससे पहले खबर थी कि वे केवल 3.4% इक्विटी बेचने की योजना बना रहे हैं। लेकिन अंतिम डील इससे भी बड़ी रही, जिससे यह साफ हो गया कि गंगवाल अब तेजी से कंपनी से दूरी बना रहे हैं।
राकेश गंगवाल, जो इंडिगो के सह-संस्थापकों में से एक हैं, लंबे समय से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही सार्वजनिक तौर पर यह संकेत दिया था कि वे आने वाले वर्षों में कंपनी से पूरी तरह बाहर निकलना चाहते हैं। यह प्रक्रिया 2022 से शुरू हुई, जब उन्होंने बोर्ड से इस्तीफा दिया था और कहा था कि वे कंपनी से चरणबद्ध तरीके से अपनी हिस्सेदारी कम करेंगे।
गंगवाल की हिस्सेदारी बिक्री से पहले भी उन्होंने और उनकी पत्नी वंदना गंगवाल ने इंटरग्लोब एविएशन में अपनी कुछ इक्विटी बेच दी थी। उनका कंपनी से हटने का कारण बोर्ड के साथ मतभेद और कॉर्पोरेट गवर्नेंस से जुड़ा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि वे कंपनी की अच्छी भावना के साथ बाहर निकलना चाहते हैं और यह फैसला रणनीतिक है।
हिस्सेदारी में लगातार कटौती जारी
पिछले दो वर्षों में राकेश गंगवाल की हिस्सेदारी में धीरे-धीरे कमी आई है। हालिया डील के बाद गंगवाल फैमिली की इंडिगो में हिस्सेदारी अब और घट गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि वे कंपनी में कोई प्रबंधकीय भूमिका या प्रभाव नहीं रखना चाहते।
ब्लॉक डील के ज़रिए हुआ सौदा
यह डील शेयर बाजार में एक ब्लॉक डील के माध्यम से की गई, जिसमें गंगवाल ने संस्थागत निवेशकों को छूट पर शेयर बेचे। यह सौदा एक ही बार में बड़ी मात्रा में शेयरों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है, जिससे बाजार पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता।
बाजार की नजर अब आगे की दिशा पर
इस डील के बाद इंडिगो के शेयरों में हलचल देखी जा सकती है। निवेशक अब इस बात पर ध्यान देंगे कि कंपनी का अगला रणनीतिक कदम क्या होगा और गंगवाल के बाहर होने से इसका क्या असर पड़ेगा। इंडिगो पहले से ही देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन है और उसका प्रबंधन अब पूरी तरह पेशेवर नेतृत्व के हाथ में है।
कंपनी की स्थिति पर कोई सीधा असर नहीं
विशेषज्ञों का मानना है कि राकेश गंगवाल की हिस्सेदारी बिक्री से कंपनी की संचालन प्रक्रिया पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे पहले ही बोर्ड और मैनेजमेंट से अलग हो चुके हैं। हालांकि, निवेशकों के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि प्रमोटर ग्रुप अब पूरी तरह बाहर निकलने की दिशा में है।