नई दिल्ली । नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री कुलमान घिसिंग और भारत के विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को नई दिल्ली में बैठक की, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में जारी सहयोग को और मजबूत करना था।
इस बैठक का उद्देश्य भारत-नेपाल ऊर्जा सहयोग में बढ़ती गति को सुदृढ़ करना था, जो दशकों से चले आ रहे राजनयिक संबंधों और सतत विकास तथा ऊर्जा सुरक्षा के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है।
दोनों पक्षों ने कई विषयों पर चर्चा की, जिनमें नेपाल में जलविद्युत परियोजनाओं के विकास में हुई प्रगति भी शामिल थी। इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्रीय ग्रिड कनेक्टिविटी पहलों पर भी विचार-विमर्श किया, जिनका उद्देश्य सीमापार बिजली व्यापार को सुगम बनाना, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और भारत एवं नेपाल के बीच स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों के बेहतर एकीकरण को बढ़ावा देना है।
अगस्त में, भारत की महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) पॉवरग्रिड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के बीच संयुक्त उपक्रम और शेयरधारक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों के तहत भारत और नेपाल में एक-एक संयुक्त उपक्रम कंपनी की स्थापना की जाएगी, जो उच्च क्षमता वाली सीमापार बिजली संचरण अवसंरचना के विकास के लिए जिम्मेदार होंगी।
प्रस्तावित सीमापार संचरण प्रणाली परियोजनाओं में इनरुवा (नेपाल)–न्यू पूर्णिया (भारत) 400 केवी डबल सर्किट (क्वाड मूस) ट्रांसमिशन लिंक और लामकी (डोडोधारा) (नेपाल)–बरेली (भारत) 400 केवी डबल सर्किट (क्वाड मूस) ट्रांसमिशन लिंक का विकास शामिल है।
परियोजनाओं के पूर्ण होने पर, ये संचरण गलियारे भारत और नेपाल के बीच बिजली आदान-प्रदान को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएंगे, क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेंगे, ग्रिड की मजबूती में सुधार करेंगे और दोनों देशों में सतत आर्थिक विकास में योगदान देंगे।


