नई दिल्ली । भारत 6G एलायंस ने बुधवार को नैसकॉम और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ प्रौद्योगिकी विकास के लिए समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौते नई दिल्ली में 8 से 11 अक्टूबर तक आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 के हिस्से के रूप में आयोजित इंटरनेशनल 6G संगोष्ठी 2025 में हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 के नौवें संस्करण का उद्घाटन किया और केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उपस्थित थे।
भारत 6जी एलायंस ने चार श्वेतपत्र भी जारी किए — “स्पेक्ट्रम रोडमैप फॉर 6G इन इंडिया”, “पावरिंग नेक्स्ट-जेन टेलीकॉम”, “एआई एंड नेटवर्क इवोल्यूशन टू 5G” और “6G आर्किटेक्चर, सिक्योरिटी एंड एक्सपोजर फ्रेमवर्क फॉर आरएफ सेंसिंग।”
6G के सिद्धांतों का समर्थन करने वाली एक संयुक्त घोषणा भी प्रस्तुत की गई, जिसे 10 अक्टूबर को जारी किया जाएगा।
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के दूरसंचार क्षेत्र में सफलता — जो 2014 से अब तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना वृद्धि और मोबाइल निर्माण में 28 गुना बढ़ोतरी से प्रदर्शित होती है — आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण की शक्ति को दर्शाती है।
उन्होंने भारत के “मेड-इन-इंडिया 4G स्टैक” के महत्व पर जोर दिया, जो देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता और निर्यात तत्परता को दर्शाता है, और ‘इंडिया 6G विजन 2030’ में योगदान देता है।
इंटरनेशनल 6G संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत के एक प्रौद्योगिकी उपभोक्ता से वैश्विक डिजिटल नेता बनने के परिवर्तन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत की 6G महत्वाकांक्षाएं 2035 तक देश के जीडीपी में 1.2 ट्रिलियन डॉलर का योगदान कर सकती हैं।
सिंधिया ने यह भी उल्लेख किया कि भारत का लक्ष्य वैश्विक 6G पेटेंट का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करना है और देश का उपग्रह संचार बाजार 2033 तक तीन गुना बढ़ने का अनुमान है।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस दूरसंचार और उभरती प्रौद्योगिकियों में नवीनतम प्रगति को प्रदर्शित करेगी, जो वैश्विक नेताओं, नीति-निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और नवप्रवर्तकों को एक साथ लाएगी।
कार्यक्रम का फोकस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस, टेलीकॉम में सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम कम्युनिकेशंस, 6G और फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर्स जैसे प्रमुख विषयों पर होगा, जो अगली पीढ़ी की कनेक्टिविटी, डिजिटल संप्रभुता, साइबर फ्रॉड रोकथाम और वैश्विक तकनीकी नेतृत्व में भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं।


