नई दिल्ली । केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत ₹5,500 करोड़ से अधिक के सात प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की घोषणा की। इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना है।
मंजूर किए गए प्रोजेक्ट्स में हाई-डेंसिटी इंटरकनेक्ट (HDI) पीसीबी, मल्टी-लेयर पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल्स, कॉपर क्लैड लैमिनेट्स और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं।
कैमरा मॉड्यूल छोटे इमेजिंग यूनिट होते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में फोटो और वीडियो कैप्चर करते हैं। इनका भारत में निर्माण होने से इनका उपयोग स्मार्टफोन, ड्रोन, लैपटॉप, टैबलेट, चिकित्सा उपकरण, रोबोट और ऑटोमोटिव सिस्टम में किया जा सकेगा।
HDI और मल्टी-लेयर पीसीबी वे मुख्य सर्किट बोर्ड हैं जो हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को जोड़ते और नियंत्रित करते हैं। इनका उपयोग स्मार्टफोन, लैपटॉप, ऑटोमोटिव और औद्योगिक प्रणालियों में होता है।
इन प्रोजेक्ट्स से ₹36,559 करोड़ मूल्य के कंपोनेंट्स का उत्पादन होगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।
मंजूर की गई इकाइयाँ तमिलनाडु (5), आंध्र प्रदेश (1) और मध्य प्रदेश (1) में स्थित हैं। इससे संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग को मेट्रो शहरों से आगे बढ़ाया जाएगा।
वैष्णव ने कहा, “हमारी घरेलू पीसीबी की मांग का 20 प्रतिशत और कैमरा मॉड्यूल सब-असेंबली की मांग का 15 प्रतिशत इन संयंत्रों से पूरी होगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि कॉपर क्लैड लैमिनेट्स की मांग अब पूरी तरह से देश में पूरी की जा सकेगी और इन संयंत्रों से होने वाले अतिरिक्त 60 प्रतिशत उत्पादन का निर्यात किया जाएगा।
इस योजना को घरेलू और वैश्विक दोनों कंपनियों से उत्कृष्ट प्रतिक्रिया मिली है।
कुल 249 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो ₹1.15 लाख करोड़ के निवेश, ₹10.34 लाख करोड़ के उत्पादन और 1.42 लाख नौकरियों के सृजन का प्रतिनिधित्व करते हैं — जो भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश प्रतिबद्धता है।


