बस्तर । छत्तीसगढ़ का जनजातीय बहुल जिला बस्तर अब अंधेरे से बाहर आ चुका है, क्योंकि हर गांव तक बिजली पहुंच गई है। यह जानकारी एक आधिकारिक बयान में रविवार को दी गई।
पिछले पच्चीस वर्षों में जगदलपुर ग्रामीण संभाग ने विद्युतीकरण के क्षेत्र में ऐसी छलांग लगाई है, जो किसी क्रांति से कम नहीं है। वर्ष 2000 में जहां एक गांव तक बिजली पहुंचाना चुनौती थी, वहीं 2025 तक हर मजरा-टोला और हर घर रोशनी से जगमगा रहा है। अब बस्तर जिले में विद्युतीकरण का स्तर सौ फीसदी हो चुका है।
जगदलपुर ग्रामीण संभाग के कार्यपालन अभियंता पी. के. अग्रवानी ने बताया कि कुल 578 गांव — जिनमें 577 ग्रामीण क्षेत्र में और एक शहरी क्षेत्र में है — अब पूरी तरह विद्युतीकृत हो चुके हैं।
राज्य गठन के समय बस्तर में कुल 3,989 टोलों (हमलेट्स) की संख्या थी, जो अब बढ़कर 5,107 हो गई है, और प्रत्येक टोला अब बिजली ग्रिड से जुड़ चुका है, उन्होंने बताया।
यह परिवर्तन केवल तारों और खंभों की कहानी नहीं है, बल्कि यह बुनियादी ढांचे में कल्याण-उन्मुख दीर्घकालिक क्रांति का परिणाम है।
33/11 केवी उपकेंद्रों की संख्या जहां पहले केवल छह थी, वहीं अब बढ़कर 27 हो गई है, और इनकी क्षमता 24 मेगावोल्ट-एम्पियर से बढ़कर 138.70 मेगावोल्ट-एम्पियर हो गई है। इसी तरह, 11 केवी लाइनें 1,390 किलोमीटर से बढ़कर 4,850 किलोमीटर हो गई हैं, जबकि निम्न-दाब (लो-वोल्टेज) लाइनें 2,257 किलोमीटर से बढ़कर 6,017 किलोमीटर तक पहुंच गई हैं।
माओवादी हमलों जैसी बड़ी चुनौतियों के बावजूद, जिन्होंने लंबे समय तक बिजली आपूर्ति बाधित की, बस्तर की बिजली अवसंरचना को उल्लेखनीय रूप से सुदृढ़ किया गया है। क्षेत्रीय ग्रिड को स्थिर करने के लिए पराचांपाल में 400 केवी का उपकेंद्र लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया, साथ ही एक नया 132 केवी उपकेंद्र और विस्तारित ट्रांसमिशन लाइनें भी स्थापित की गईं। उन्नत ट्रांसफॉर्मर और अतिरिक्त 220 केवी तथा 33 केवी नेटवर्क अब दूरस्थ इलाकों तक विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाली बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं।
बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हुई है — वर्ष 2000 में जहां यह 5,380 थी, वहीं आज यह 2.19 लाख से अधिक परिवारों तक पहुंच चुकी है। यह ग्रामीण विद्युतीकरण और बिजली की उपलब्धता में बड़े विस्तार को दर्शाता है।
कार्यपालन अभियंता प्रदीप अग्रवानी के अनुसार, यह उपलब्धि केंद्र सरकार की सौभाग्य योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के साथ राज्य सरकार की मजरा-टोला विद्युतीकरण योजना का परिणाम है।
इन प्रयासों के साथ, बस्तर अब बिजली की कमी से जूझेगा नहीं — उद्योगों का विकास जारी रहेगा, सिंचाई बाधित नहीं होगी, और गांव अब अंधेरे में नहीं रहेंगे, उन्होंने कहा।
यह विकास बस्तर को आत्मनिर्भरता का प्रतीक और पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा है।


