छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल आबकारी विभाग के राजस्व का टारगेट करीब 13 हजार करोड रखा है जो पिछले साल मिले राजस्व से दोगुना है। यही वजह है कि सरकार लगातार नशे के कारोबार से राजस्व बढाने की कोशिश कर रही है। 90 के दशक में देश में शुरू हुए CRAFT BEER के उत्पादन को प्रदेेश में मंजूूरी दी हैै, इस बीयर को गन्ने के रस की तरह से छत्तीसगढ के लोगों के लिए उपलब्ध कराने का दावा भी सरकार की ओर से किया गया है, यानि प्रदेेश में कम सेे कम 100 से अधिक माइक्रो ब्रूवरियां खुल सकती हैं। देश में क्राफ्ट बीयर की राजधानी माने जाने वाले बेगलोर में 70 लीगल और सब मिलाकर 100 से अधिक माइक्रो ब्रूवरियां हैं । शराब सहित बाजार में बॉटल और केन में मिलने वाले बियर से कम अल्कोहल वाले इस पेय में राज्य सरकार बडा राजस्व हासिल करने का ख्वाब देख रही है। आइए समझते हैं कि छत्तीसगढ में CRAFT BEER बीयर का कारोबार आबकारी विभाग के कुल राजस्व में कितना योगदान दे सकेगा।
FINANCIALTALK DESK
छत्तीसगढ में जब से यह खबर आई हैै बीयर पीने वालों के बीच खुशी की लहर दौड गई है। क्राफ्ट बीयर एक प्रीमियम उत्पाद है, और इसके बाजार में तेजी से वृद्धि हो रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। छत्तीसगढ की करीब 27 फीसदी आबादी शहरों में रहती है। वहीं प्रदेश की कुल आबादी करीब 3 करोड से अधिक का 35 फीसदी से अधिक लोग यानी सवा करोड लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें सेे 25 फीसदी यानी करीब 35 लाख लोग बीयर पीने के शौकीन हैं। नशा कम होने के कारण शहरी क्षेत्र के युवा में बीयर का क्रेज है, माइक्रो ब्रूवरियांं खुलने पर युवा वर्ग ही सबसे ज्यादा इसकी ओर आकर्षित होे रहे हैं।
भारत में क्राफ्ट बीयर की कहानी 1990 के दशक में शुरू हुई, जब गोवा ने इसकी शुरुआत की। गोवा में 1990 में “किंग्स ब्रूअरी” (उदयन मोहे द्वारा स्थापित) ने पालोलेम में भारत की पहली कमर्शियल क्राफ्ट बीयर बनाई। इसके बाद किंगफिशर प्रीमियम का दौर आया। विजय माल्या ने इसकी शुरूवात क्राफ्ट ब्रूअरी के रूप में की जो आगे चलकर बेहद लोकप्रिय होकर मैसिव ब्रांड बना। गोवा से इसकी शुरूवात के पीछे पर्यटकों की मांग, पुर्तगाली बियर संस्कृति का प्रभाव और लचीले कानून को माना जाता है ।
महाराष्ट्र में 2000 में एंंट्री : गोवा के बाद इसकी एंट्री महाराष्ट्र मे हुई। डोलर ब्रूअरी (2008, पुणे): शहर की पहली माइक्रो-ब्रूअरी, जिसने *डोलर विटबियर* जैसे क्राफ्ट वेरिएंट लॉन्च किए। द बॉम्बे ज्यूइश ब्रूअरी (मुंबई, 2014): जैसे स्पेशलिटी पब्स ने क्राफ्ट बीयर को मेनस्ट्रीम बनाया।
बैंगलोर बना “क्राफ्ट बीयर कैपिटल”:
कर्नाटक में 2010 में क्राफट बीयर का कारोबार शुरू हुआ। बैंगलोर शहर को “भारत की क्राफ्ट बीयर राजधानी” बना दिया। मैंगो सीजनल एल जैसे स्थानीय फ्लेवर्स ने बाजार बदला। कभी बेंगलुरु को सिर्फ़ ‘पब सिटी’ कहते थे, मगर 2010 में एक नया स्वाद जगा। द बिएर क्लब ने पहली माइक्रोब्रूअरी खोली, और शहर की गलियों में क्राफ्ट बीयर की खुशबू फैलने लगी। तकनीक का गढ़, बेंगलुरु, दुनिया भर से आए आईटी प्रोफेशनल्स को आकर्षित करता था, जो विदेशी स्वाद चाहते थे। कोरमंगला और व्हाइटफील्ड के पबों में जैकफ्रूट एल और बासमती ब्लॉन्ड जैसे अनोखे प्रयोग शुरू हुए। यूबी ग्रुप का बीयर इतिहास और युवा आबादी ने इसे रफ्तार दी। 70 से ज़्यादा ब्रूअरीज़ और 25 नई निर्माणाधीन, बेंगलुरु ने हर महीने लाखों गिलास बेचे। लाइव म्यूज़िक, छत के दृश्य, और भारतीय भोजन के साथ बीयर की जोड़ी ने इसे खास बनाया। निवेशकों का साथ और शहर की खुली सोच ने बेंगलुरु को भारत की क्राफ्ट बीयर राजधानी बना दिया।
तमिलनाडु (2015 के बाद): चेन्नई में मट्टन स्ट्रीट ब्रूअरी (2015) और टिंटो ब्रूअरी ने दक्षिण भारतीय स्वादों (जैसे जैस्मिन इन्फ्यूज्ड एल) को क्राफ्ट बीयर से जोड़ा। हिमाचल प्रदेश (2017) कसौली ब्रूअरी (हिमाचल) ने पहाड़ी जलवायु में क्राफ्ट बीयर बनाकर नया ट्रेंड शुरू किया।
छत्तीसगढ़ में एंट्री: कैसे पहुंची क्राफ्ट बीयर?
रायपुर में “द टैंक हाउस” (2019) जैसे पब्स ने बेंगलोर/पुणे से क्राफ्ट बीयर आयात करनी शुरू की। छत्तीसगढ़ का पहला क्राफ्ट ब्रूअरी 2022 में बिलासपुर में “जंगली ब्रूअरी” लॉन्च हुई, जो महुआ फ्लावर एल और चावल-आधारित बीयर जैसे स्थानीय इनोवेशन्स लेकर आई। छत्तीसगढ़ की पहली क्राफ्ट बीयर “महुआ लेगरे” को 2023 में इंडिया क्राफ्ट बीयर फेस्टिवल में बेस्ट हर्बल इन्फ्यूज्ड बीयर” का अवार्ड मिला! यहां से प्रदेेश में माइक्रो ब्रुअरियों के लिए अनुकूल माहौल बनना शुरू हुआ। राज्य के चावल, महुआ और जंगली शहद को क्राफ्ट बीयर में इस्तेमाल किया गया। छत्तीसगढ़ में शराब नीतियाँ सख्त थीं, लेकिन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने माइक्रो-ब्रूअरीज को लाइसेंस देना शुरू किया। छत्तीसगढ़ में क्राफ्ट बीयर अब रायपुर, बिलासपुर और कोरबा के हाइ-एंड रेस्तराँ में उपलब्ध है। जंगली ब्रूअरी जैसे स्थानी ब्रांड्स राज्य के आदिवासी स्वादों को ग्लोबल स्तर पर पहचान दिला रहे हैं। छत्तीसगढ़ अब “मेक इन छत्तीसगढ़” के तहत क्राफ्ट ब्रूअरीज को प्रोत्साहित कर रहा है। इस तरह गोवा से शुरू हुई क्राफ्ट बीयर की यात्रा, छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति में घुलकर एक नए स्वाद के साथ पहुँची है।
क्राफ्ट बीयर की मंजूरी और पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ में क्राफ्ट बीयर को मंजूरी देने की खबर हाल के महीनों में सामने आई है, विशेष रूप से 2025 में। यह कदम राज्य के शराब नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो माइक्रोब्रूवरियों को लाइसेंस देने और क्राफ्ट बीयर की बिक्री को विनियमित करने की अनुमति देता है। लाइसेंस शुल्क Rs 25 लाख प्रति माइक्रोब्रूवरी है, और मासिक अग्रिम ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार देनी है। क्राफ्ट बीयर एक प्रीमियम और विशेषता उत्पाद है, जो मुख्य रूप से शहरी उपभोक्ताओं और मिलेनियल्स के बीच लोकप्रिय है। भारत में, इस सेगमेंट में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसे विभिन्न बाजार अनुसंधान रिपोर्टों द्वारा समर्थित किया गया है।
भारत में क्राफ्ट बीयर बाजार का आकार
IMARC Group के अनुसार, भारत का क्राफ्ट बीयर बाजार 2024 में USD 4.7 बिलियन (लगभग INR 391.5 बिलियन, 1 USD = 83.3 INR मानते हुए) था, और 2025-2033 के दौरान 23.43% की CAGR के साथ 2033 तक USD 33.3 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है । यह वृद्धि उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता, स्वास्थ्य और कल्याण की ओर रुझान, और माइक्रोब्रूवरियों के तेजी से विस्तार से संचालित हो रही है।Restaurant India की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में क्राफ्ट बीयर का कुल बीयर बाजार में 2-3% का हिस्सा है। यह संकेत देता है कि क्राफ्ट बीयर अभी भी एक छोटा लेकिन तेजी से बढ़ता हुआ सेगमेंट है।
छत्तीसगढ़ में क्राफ्ट बीयर का अनुमानित बाजार

छत्तीसगढ़ की जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 2.07% है (लगभग 29 मिलियन जनसंख्या, भारत की 1.4 बिलियन जनसंख्या के सापेक्ष)। यदि हम मान लें कि क्राफ्ट बीयर की खपत जनसंख्या के अनुपात में है, तो छत्तीसगढ़ का क्राफ्ट बीयर बाजार INR 391.5 बिलियन का 2.07% होगा, जो लगभग INR 8.1 बिलियन तक पहुंच सकता है।
एक्साइज ड्यूटी और सरकार का राजस्व
छत्तीसगढ़ में बीयर (माल्ट-आधारित) पर एक्साइज ड्यूटी लैंडिंग प्राइस पर 40% है, जैसा कि Legality Simplified की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। लैंडिंग प्राइस वह मूल्य है जिस पर बीयर राज्य निगम को आपूर्ति की जाती है, जिसमें उत्पादन और परिवहन लागत शामिल हैं, लेकिन खुदरा मार्जिन और अन्य कर नहीं। सरकार का राजस्व मुख्य रूप से एक्साइज ड्यूटी और वैट (मूल्य वर्धित कर) से आता है। वैट की दर छत्तीसगढ़ में बीयर के लिए लगभग 15% हो सकती है, लेकिन यह अनुमानित है क्योंकि सटीक दर की पुष्टि नहीं हो सकी।
तालिका: क्राफ्ट बीयर से अनुमानित राजस्व
निम्न तालिका अनुमानित राजस्व को दर्शाती है, जो विभिन्न धारणाओं पर आधारित है:
घटक | अनुमानित मूल्य (INR) | नोट |
भारत का क्राफ्ट बीयर बाजार | 391.5 बिलियन (2024) | IMARC Group के अनुसार |
छत्तीसगढ़ का हिस्सा | 8.1 बिलियन (2.07% जनसंख्या) | जनसंख्या के आधार पर |
एक्साइज ड्यूटी (40%) | 3.24 बिलियन (Rs 324 करोड़) | लैंडिंग प्राइस पर 40% ड्यूटी मानते हुए |