टीवीएस ने अपना ई- टू व्हीलर TVS- iQubeलांच करने से पहले करीब 10 साल तक इस सेगमेंट की स्टडी की। रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम ने 2010 से 2017 तक दुनिया में लांच हो रहे ईवी की स्टडी की। इस दौरान ओकीनावा, हीरो, एथर /अम्पियर जैसे प्रीमियम ब्रांड्स भारत में लांंच हुए लेकिन बिक्री नहीं बढ रही थी। 2017 में टीवीएस ने भारत में इस सेगमेंट की व्यवस्थित स्टडी करने के लिए एक सिक्रेट प्रोजेक्ट ‘उषा’ लांच किया।प्रोजेक्ट उषा की टाॅप थ्री फाइंडिंग लॉन्ग रेंज, स्टाइलिश डिज़ाइन, स्मार्ट फीचर्स आई क्यूब का बेस बनी।
गौरतलब यह है कि ओला के नए स्टार्टअप जिसने देश में ई-टूव्हीलर की डिमांड को विस्फोटक बनाया उससे पहले ही टीवीएस ने आईक्यूब लांच कर दिया था और सावधानी से मार्केट में आगे बढने के साथ डीलर्स और सर्विसिंग बेस का भी तेजी से विस्तार किया। यह विस्तार बदस्तूर जारी है, और सबक देता है कि केवल नए फीचर्स के दम पर मार्केट में लंबे समय तक नहीं टिक सकते, मार्केट लीडर बनने के लिए डीलर्स और सर्विसिंग बेस पर लगातार वर्किंग जरूरी है।
FINANCIAL TALK DESK
TVS ने iQube के जरिए इलेक्ट्रिक सेगमेंट में एंट्री का फैसला एक स्ट्रैटेजिक मास्टरस्ट्रोक था। इसकी पूरी प्लानिंग और जर्नी काफी दिलचस्प है:
टीवीएस ने 2010 में यूरोप/चीन में EV एडॉप्शन देखा। इसके बाद 2016 में टेस्ला Model 3 की बुकिंग (5 लाख यूनिट्स) ने सिग्नल दिया कि अब EV मेनस्ट्रीम होने वाला है। भारत में 2015 में FAME-I स्कीम लॉन्च हुई। सरकार ने 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का टारगेट रखा।इन सब अनुकूल महौल ने टीवीएस सहित टूव्हीलर निर्माताओं को इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर बढने के लिए मजबूर किया। टीवीएस की आर एंंढ डी टीम ने पाया कि भारत के युवा ग्राहक(18-35 साल) टेक-फ्रेंडली, इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स चाहते हैं।
2017 में सिक्रेट प्रोजेक्ट “प्रोजेक्ट उषा” : TVS R&D टीम ने चेन्नई HQ में गुप्त प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जिसका कोडनेम “उषा”(भारत की पहली इलेक्ट्रिक कार का नाम) रखा गया। प्रोजेक्ट टीम के सर्वे में 68% युवाओं ने कहा: “हमें पुराने स्कूटर जैसा इलेक्ट्रिक नहीं चाहिए, कुछ फ्यूचरिस्टिक चाहिए।” इसी सर्वे में स्पष्ट हुआ कि यूथ की टॉप 3 डिमांड्स: लॉन्ग रेंज, स्टाइलिश डिज़ाइन, स्मार्ट फीचर्स के साथ ईवी लांंच किया जाए तो खासी सफलता मिलेगी। वहीं कॉम्पिटिशन गैप एनालिसिस में बाजार में मौजूद कांप्टीटर्स के प्रोडक्टस की स्टडी कर उनकी कमियों का पता लगाया। ओकिनावा/हीरो में बहुत बेसिक फीचर्स थे तो एथर: महंगी थी, बजाज की डिजाइन पुरानी थी। इसके बाद TVS बोर्ड ने ₹500 करोड़अलग से EV डेवलपमेंट के लिए अप्रूव किए।
प्रोटोटाइप से प्रोडक्शन तक (2018-2019)
2018 में चुपके से 50 प्रोटोटाइप बनाए गए इन्हें चेन्नई, बैंगलोर में TVS एम्प्लॉयज को टेस्ट के लिए दिया। ग्राहकों को रेंज एंग्जाइटीसबसे बड़ी चिंता थी इसलिए iQube में 140 km/चार्जटारगेट रखा। 92% यूजर्स ने रिवर्स गियरकी डिमांड की जिसे फाइनल प्रोडक्ट में एड किया। सप्लाई चेन सेटअप के लिए TVS ने संजीव गुप्ता(एक्स-बॉश) की टीम को हायर किया, जिन्होंने बेंगलुरु में डेडिकेटेड EV बैटरी प्लांट डिजाइन किया।
लॉन्च डिसीजन: क्यों 2020 चुना गया?
जनवरी 2020 में ऑटो एक्सपो (दिल्ली) में iQube लॉन्च किया गया जिससे जबरदस्त मीडिया अटेंशन मिला। FAME-II सब्सिडी एक्टिव थी iQube की कीमत ₹1.15 लाख(सब्सिडी के बाद) रखी गई। जो तत्कालीन सभी कंपटीटर्स से सबसे कम थी। ओला, एथर जैसे स्टार्टअप अभी प्रोडक्शन स्केल नहीं कर पाए थे। हीरो इलेक्ट्रिक के मॉडल्स टेक्नोलॉजी में पीछे थे। इसका फायदा तेजी सेे टीवीएस को मिला। अ
डीलर नेटवर्क को EV के लिए तैयार करना
1500+ डीलर्स को ट्रेनिंग दी गई। इसके लिए इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोग्राम तैयार किेया गया। बैटरी डायग्नोस्टिक्स, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर वर्किंग के साथ हर डीलरशिप पर 24/7 रेंज एंग्जाइटी हेल्पलाइनसेट अप की गई। ग्राहकों का भरोसा जीतने की रणनीति के तहत 3 साल/50,000 km वारंटी(कॉम्पिटिशन से 50% ज्यादा) दी गई। वहीं फ्री होम चार्जिंग इंस्टालेशनऑफर किया गया
टर्निंग पॉइंट: कोविड का अप्रत्याशित फायदा
2020 में लॉकडाउन के बाद पर्सनल मोबिलिटी की डिमांड बढ़ी। TVS ने इसका फायदा उठाया और ऑनलाइन बुकिंग सिस्टमलॉन्च किया। इसका फायदा मिला। पहले 24 घंटे में 3,000 बुकिंग्स आई। इसके साथ ही करोना को देखते हुए कंपनी ने कॉन्टैक्टलेस टेस्ट राइडकी सुविधा शुरू की। नतीजा 2021 तक iQube ने चेन्नई, बैंगलोर में 32% मार्केट शेयरकैप्चर कर लिया।
क्यों सही था TVS का फैसला?
- स्ट्रैटेजिक टाइमिंग: EV इन्फ्रास्ट्रक्चर और पॉलिसी सपोर्ट के उभरते दौर में एंट्री की।
- कस्टमर-सेंट्रिक डिजाइन: सिर्फ “इलेक्ट्रिक स्कूटर” नहीं, बल्कि “स्मार्ट मोबिलिटी डिवाइस” बनाया।
- लेगेसी का फायदा: मौजूदा 15,000+ सर्विस पॉइंट्स ने स्टार्टअप्स पर भारी बढ़त दिलाई।
- रिस्क मैनेजमेंट: शुरुआत में सिर्फ 5 शहरों में लॉन्च करके टेस्ट किया, फिर नेशनवाइड एक्सपेंशन किया।
- iQube TVS के लिए स्ट्रेटजिक हिट साबित हुआ है, जिसने न सिर्फ EV मार्केट में कंपनी को लीडर बनाया, बल्कि पेट्रोल स्कूटर्स (जैसे ज्यूपिटर) के सेल्स को भी बूस्ट किया है।
- इसकी सफलता भारत में “कैसे पारंपरिक ऑटो कंपनियां EV रिवॉल्यूशन में कूद सकती हैं”का ब्लूप्रिंट बन गई है।
बजाज की “नॉस्टाल्जिया” चुनौती को कैसे तोड़ा?
- फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन vs पुरानी यादें: बजाज चेतक ने क्लासिक लुक को रीइनवेंट किया, लेकिन iQube के स्पोर्टी प्रोफाइल, एलईडी लाइट्स और वेज-शेप ने युवाओं को आकर्षित किया।
- कलर ऑप्शंस (जैसे सिट्रस येलो, मैट ब्लू) ने बजाज के कंजरवेटिव पैलेट को आउटशाइन किया।
- टेक्नोलॉजी गैप: चेतक में बेसिक डिजिटल क्लस्टर था, जबकि iQube ने 7-इंच TFT स्क्रीन, ब्लूटूथ कनेक्टिविटी, नेविगेशन और राइडिंग मेट्रिक्स दिए।
कस्टमर्स बेस बढ़ाने वाले 5 क्लच फीचर्स
फीचर | प्रभाव |
---|---|
140+ km IDC रेंज | ओकिनावा/हीरो से 40% ज्यादा; रेंज एंग्जाइटी कम की |
फुल-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट | स्पीड, बैटरी, ट्रिप डेटा + स्मार्टफोन नोटिफिकेशन |
रिवर्स मोड | टाइट स्पेस में पार्किंग आसानी (कॉम्पिटिशन में नहीं) |
4 राइडिंग मोड्स (इको, पावर, स्पोर्ट, रिजेन) | यूजर को कंट्रोल की फ्लेक्सिबिलिटी |
होम चार्जिंग + DC फास्ट चार्जिंग | 50% चार्ज सिर्फ 1 घंटे में (हीरो इलेक्ट्रिक से 2x तेज) |
कॉम्पिटीटर्स को कैसे पछाड़ा?
ब्रांड | कमजोरी | TVS का काउंटर |
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ओकिनावा | लो-पावर (2kW), प्लास्टिक बिल्ड क्वालिटी | 4.4kW मोटर + प्रीमियम फिनिश |
हीरो इलेक्ट्रिक | स्लो चार्जिंग (4-5 घंटे), बेसिक डिस्प्ले | फास्ट चार्जिंग + स्मार्ट डैशबोर्ड |
अम्पियर | लो स्पीड (25 km/h), कम रेंज (70 km) | 78 km/h टॉप स्पीड + 140 km रेंज |
एथर एनर्जी | हाई प्राइस (₹1.7 लाख+), सीमित सर्विस नेटवर्क | बेहतर वैल्यू (₹1.2-1.4 लाख) + 6,000+ सर्विस पॉइंट्स |
गेम-चेंजिंग स्ट्रैटेजी
प्राइसिंग वार: ₹1.15 लाख (STD) से ₹1.35 लाख (S) तक की शुरुआती कीमतें → एथर से 30% सस्ता, अम्पियर से ज्यादा फीचर्स। FAME-II सब्सिडी का पूरा फायदा दिलाया।
– ब्रांड ट्रस्ट का फायदा: TVS के 40+ वर्षों के अनुभव और 15,000+ रिटेल नेटवर्क ने ग्राहकों को EV में विश्वास दिलाया। स्टार्टअप्स (जैसे ओला) की डिलीवरी/सर्विस समस्याओं से बचा लिया।
मार्केटिंग स्मार्टनेस:DarkGreenRising कैंपेन के जरिए पर्यावरण कनेक्शन बनाया।इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूब रिव्यूज पर फोकस कर युवा ऑडियंस तक पहुंच बनाया।
TVS की जीत के 3 स्तंभ
- फीचर इनोवेशन: कॉम्पिटिशन से बेहतर रेंज, स्पीड और कनेक्टिविटी।
- 2.मिड-सेगमेंट प्राइसिंग: एंट्री-लेवल (ओकिनावा) और प्रीमियम (एथर) के बीच परफेक्ट पोजीशनिंग।
- लेगेसी एडवांटेज: मौजूदा सर्विस नेटवर्क + ग्राहक भरोसा → स्टार्टअप्स की तुलना में बड़ा क्रेडिबिलिटी एज।
भविष्य की चुनौती: बजाज चेतक की बढ़ती पकड़ और ओला S1 प्रो की एग्रेसिव प्राइसिंग से लड़ाई मुश्किल होगी, लेकिन iQube का टेक्नोलॉजी लीड और ब्रांड रिकॉल अभी उसे आगे रखेगा ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
टीवीएस ने अपनी मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए ये स्ट्रेटजी अपनाई :
- बजाज की नॉस्टाल्जिया को चुनौती देना
बजाज जैसी कंपनी का भारतीय बाइक मार्केट में मजबूत भावनात्मक कनेक्शन (जैसे चेतक, पल्सर) था। लेकिन टीवीएस ने मॉडर्न डिज़ाइन, स्मार्ट फीचर्स और परफॉर्मेंस पर फोकस करके युवाओं और शहरी ग्राहकों को आकर्षित किया।
– बजाज चेतक इलेक्ट्रिक जैसे मॉडल्स में पुराने डिज़ाइन थे, जबकि आईक्यूब ने फ्यूचरिस्टिक लुक दिया।
– डिजिटल कनेक्टिविटी (स्मार्टफोन इंटीग्रेशन, नेविगेशन) ने आईक्यूब को अलग खड़ा किया।
- कस्टमर्स बेस बढ़ाने वाले फीचर्स
टीवीएस आईक्यूब ने ऐसे फीचर्स दिए जो कॉम्पिटिशन से अलग थे:
✔ रेंज एंड स्पीड: 100+ km/चार्ज (IDC) और 70-80 km/h की टॉप स्पीड।
✔ फुल-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर (TFT स्क्रीन) + ब्लूटूथ कनेक्टिविटी।
✔ अर्ली एडॉप्टर्स के लिए अपील: सनरूफ, हाई-टेक लुक, मल्टीपल राइडिंग मोड्स (Eco, Power)।
✔ चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: टीवीएस ने घर पर चार्जिंग और पब्लिक स्टेशन्स को सपोर्ट किया।
इसके विपरीत, ओकिनावा और हीरो इलेक्ट्रिक के मॉडल्स में बेसिक फीचर्स थे, जबकि एथर एनर्जी महंगी थी।
- कॉम्पिटिशन को पछाड़ने की रणनीति
| ब्रांड |कमजोरियाँ | टीवीएस का एडवांटेज |
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| ओकिनावा | लो-पावर, बेसिक डिज़ाइन | बेहतर परफॉर्मेंस, प्रीमियम फील |
| हीरो इलेक्ट्रिक | चार्जिंग टाइम ज्यादा | फास्ट चार्जिंग, बेटर ब्रांड ट्रस्ट |
| अम्पियर | लो-स्पीड, रेंज | हाई-स्पीड विकल्प, यूथ-सेंट्रिक मार्केटिंग |
| एथर | हाई प्राइस रेंज | अफोर्डेबिलिटी + फीचर्स का बैलेंस |
– टीवीएस ने ₹1 लाख से ₹1.4 लाख की प्राइस रेंज में आईक्यूब लॉन्च करके मिड-सेगमेंट पर कब्जा किया।
– एफटर-सेल्स सर्विस नेटवर्क (पारंपरिक टीवीएस डीलरशिप) ने भरोसा बढ़ाया, जबकि स्टार्टअप्स में सर्विस इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर था।
- मार्केटिंग और ब्रांडिंग
– “डिजिटल फर्स्ट” अप्रोच: सोशल मीडिया, यूट्यूब रिव्यूज और इन्फ्लुएंसर्स के जरिए युवाओं को टारगेट किया।
– टेस्ट राइड्स और एक्सपीरियंस सेंटर्स: ग्राहकों को आईक्यूब की टेक्नोलॉजी समझाई।
– सब्सिडी का फायदा: फेम-II स्कीम के तहत ग्राहकों को सस्ती कीमत में मॉडल मिला।
क्यों बना मार्केट लीडर टीवीएस?
- ब्रांड ट्रस्ट: पारंपरिक बाइक निर्माता होने के कारण ग्राहकों का भरोसा।
- फीचर-पैक्ड प्रोडक्ट: कॉम्पिटिशन से बेहतर टेक और डिज़ाइन।
- सही प्राइस पॉइंट: मिड-रेंज सेगमेंट में वैल्यू फॉर मनी।
- सर्विस नेटवर्क: 6000+ टीवीएस सर्विस सेंटर्स ने EV खरीदने की चिंता दूर की।
दो बडी चुुनौती : आने वाले समय में बजाज चेतक इलेक्ट्रिक और ओला S1 जैसे मॉडल्स से कड़ी टक्कर मिलेगी, लेकिन अभी टीवीएस आईक्यूब फीचर्स, ब्रांडिंग और कस्टमर एक्सपीरियंस के कारण लीडर बना हुआ है।