नई दिल्ली । दुनिया भर में Gold के दामों पर गहराते भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार युद्ध की आशंकाओं का सीधा असर दिखने लगा है। अब तक सोने की खरीदारी कर रहे केंद्रीय बैंकों ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। जहां एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ से जुड़ी घोषणाओं ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचाई है, वहीं दूसरी ओर कई देशों के रिजर्व बैंकों ने अब सीधी सोने की खदानों से खरीदारी शुरू कर दी है।
बैंकों की नई रणनीति: खदानों से सीधा सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अब पहले से कहीं ज़्यादा केंद्रीय बैंक अपने देश की स्थानीय खदानों और छोटे कारीगरों से सोना सीधे खरीद रहे हैं। इससे दोतरफा फायदा हो रहा है—एक तरफ सोने की लागत कम हो रही है, दूसरी तरफ घरेलू उद्योगों को समर्थन मिल रहा है।
रिपोर्ट के अहम आंकड़े:
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36 में से 19 केंद्रीय बैंकों ने माना कि वे घरेलू कारीगरों और लघु खदानों से स्थानीय मुद्रा में सोना खरीद रहे हैं।
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4 और देशों ने संकेत दिए हैं कि वे भी इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
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पिछले साल के सर्वे में यह आंकड़ा 57 में से 14 था—यानी इस साल रुझान और तेज़ हुआ है।
यह चलन अब फिलीपींस, इक्वाडोर जैसे देशों तक सीमित नहीं रहा। अब अन्य गोल्ड उत्पादक राष्ट्र भी इसमें शामिल हो रहे हैं, ताकि विदेशी मुद्रा पर दबाव घटे और वैश्विक जोखिमों से बचाव हो सके।
भू-राजनीति और व्यापार तनाव का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका को जन्म दिया है। ट्रंप की ओर से हालिया बयानों में चीन, इंडोनेशिया, और अब भारत जैसे देशों को टैरिफ वार की चेतावनी दी गई है। इस अनिश्चितता के बीच निवेशक और बैंक गोल्ड को एक “सुरक्षित निवेश” मान रहे हैं।
BullionVault के रिसर्च डायरेक्टर एड्रियन ऐश ने कहा:
“गोल्ड की कीमतों में तेजी और राजनीतिक अस्थिरता के दौर में सोना हमेशा बचाव का हथियार बनता है। यही वजह है कि उत्पादक देश अब घरेलू खदानों से सीधे सोना खरीदकर अपनी मुद्रा और उद्योग दोनों को मजबूत कर रहे हैं।”
सोने-चांदी के ताज़ा भाव
दुनियाभर के आर्थिक घटनाक्रमों का असर सीधे बाजारों पर भी नजर आ रहा है। खबर लिखे जाने तक—
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COMEX पर सोना 0.07% की गिरावट के साथ $3334.20 प्रति औंस पर पहुंच गया।
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वहीं, चांदी की कीमत 0.13% गिरकर $38.06 प्रति औंस दर्ज की गई।
गोल्ड खरीद की दिशा में ‘आत्मनिर्भरता’
कई केंद्रीय बैंक अब गोल्ड के मामले में आत्मनिर्भरता की राह पर चल पड़े हैं। डॉलर पर निर्भरता को कम करने और सप्लाई चेन के जोखिमों से बचने के लिए “लोकल सोर्सिंग” को तरजीह दी जा रही है।
भारत जैसे देशों के लिए यह रुख बेहद अहम है। भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, बल्कि घरेलू कारीगरों और लघु खदानों का भी बड़ा नेटवर्क है। ऐसे में यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी इस मॉडल को अपनाता है, तो सोने के आयात पर निर्भरता घट सकती है।